Sunita gupta

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बसंत मे प्रेम की बयार

बसंत में प्रेम की बयार
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जब पवन बहाए सुगंधी हौले,
फूल खिले और रंग चमके भोले।
धरती गाए कोई मधुर सा गीत,
बसंत में जागे प्रेम अतीत।

कोयल कुहके अमराईयों में,
सपने संवरें अंगनाईयों में।
सरसों के पीले फूलों के संग,
दिल में उठे कोई मधुर तरंग।

हवा में घुली मीठी सी सरगम,
मन में उठे कोई नई कसम।
तेरी यादों का मौसम आया,
बसंत ने फिर से प्रेम जगाया।

चम्पा चमेली हँसने लगीं,
कली-कली तुझसे कहने लगीं।
आजा सजन! ये पल सुहाना,
प्रेम में रंग दे हर इक फसाना।

बागों में तितलियाँ चूमे कली,
प्रेम से भीगी मधुमास की गली।
तेरे बिना ये ऋतु अधूरी,
तू मिले तो ये दुनिया पूरी।

 सुनीता गुप्ता

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2 Comments

hema mohril

26-Mar-2025 05:05 AM

amazing

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kashish

09-Feb-2025 07:40 AM

👌

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